॥भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी – श्रीराम स्तुति:॥
।।जय श्रीराम।।
जब श्री राम जी का प्राकट्य हुआ और माता कौशल्या ने उन्हें चतुर्भुज रूप में देखा तो वो आनंद से भर गई।गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं कि श्री राम जी का रूप देखकर माता कौशल्या उनकी स्तुति करती हैं और कहती है कि आपका जो रूप मेरे हृदय में बस जाए वो बाल रूप धारण करे। आपने मुझे दर्शन देकर मेरे जन्मो की तपस्या को सफल किया है । हे प्रभु ये रूप त्यागकर बाल रूप में आइए और बाल लीला कीजिए।माता कौशल्या का श्री राम जी से संवाद नीचे वर्णित है ।
भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ॥
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी ।
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी ॥
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता ।
माया गुअन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता ॥
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रकट श्रीकंता ॥
ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै ।
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै ॥
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥
माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा ।
कीजे सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा ॥
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा ।
यह चरित जे गावहि हरिपद पावहि ते न परहिं भवकूपा ॥
बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार ।
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार ॥
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